मुखौटा!
बचपन में जब कभी भी मेले में घूमने जाते तो मैं मुखौटा ज़रूर था खरीदता कभी हनुमान का, तो कभी शेरा का, पर बड़े होने के साथ साथ पता चलता रहा कि इंसान को मुखौटे खरीदने की जरूरत ही नहीं... क्यों की वो हर सुबह घर से निकलते वक़्त एक मुखौटा पहन कर ही निकलता हैं।
कभी खुश मिजाज़ का, कभी सड़ियाल अंदाज़ का,
कभी एक दोस्त में छिपे दुश्मन का, तो कभी दुश्मन में छिपे दोस्त का,
कहीं झूठ का, तो कहीं प्रेम का,
कहीं सच का, तो कहीं फरेब का।
कभी एक दोस्त में छिपे दुश्मन का, तो कभी दुश्मन में छिपे दोस्त का,
कहीं झूठ का, तो कहीं प्रेम का,
कहीं सच का, तो कहीं फरेब का।
साथ हम हैं सभी के ,पर कौन हमारा हैं ये तो चलेगा बुरे वक़्त पर ही पता,
ये ना समझना कि सुना रहा हूं सिर्फ दुनिया की व्यथा हो सकता है हमने भी पहना हो वहीं मुखौटा...
क्या पता?
ये ना समझना कि सुना रहा हूं सिर्फ दुनिया की व्यथा हो सकता है हमने भी पहना हो वहीं मुखौटा...
क्या पता?
दोस्त हैं तो दोस्त बन , दोस्त होने का दिखावा मत कर
प्यार हैं तो प्यार बन , प्यार जैसा कोई छलावा मत कर
नफ़रत हैं गर मुझसे तो नफरत कर, पर अपनेपन का चोगा पहन यू हवाला मत कर।
प्यार हैं तो प्यार बन , प्यार जैसा कोई छलावा मत कर
नफ़रत हैं गर मुझसे तो नफरत कर, पर अपनेपन का चोगा पहन यू हवाला मत कर।
गर मिले वक़्त तो गौर करना ज़रूर, जो तू था अपने अल्लहड़ बचपन में.. क्या तू अभी भी वही रहा हैं?
गर मिले वक़्त तो सवाल करना अपने ही आइने में खड़े उस अपने आप से...क्या जैसा तेरा अंतर्मन था सालो पहले क्या वो मन अब भी वैसा ही साफ पड़ा हैं?
गर मिले वक़्त तो सवाल करना अपने ही आइने में खड़े उस अपने आप से...क्या जैसा तेरा अंतर्मन था सालो पहले क्या वो मन अब भी वैसा ही साफ पड़ा हैं?
क्या हुई ऐसी मजबूरी? क्यों अपनाया ये मुखौटा इसका कारण तो तुम्हें ही हैं पता...
मैं लगाऊंगा सिर्फ अंदाज़ा ,कारण सामने निकाल कर आ जाए क्या पता??
मैं लगाऊंगा सिर्फ अंदाज़ा ,कारण सामने निकाल कर आ जाए क्या पता??
घर वाले परवांगी नहीं देंगे प्यार की, तो पहन लिया पत्थर दिल का मुखौटा
बुरे इरादे किसी को दिख ना जाए, तो पहन लिया अपनेपन का मुखौटा
किसी से मतलब निकालना हो, तो पहन लिया प्यार का मुखौटा,
किसी को दिल में छुपा गम ना दिख जाए, तो पहन लिया खुश दिल का मुखौटा।
बुरे इरादे किसी को दिख ना जाए, तो पहन लिया अपनेपन का मुखौटा
किसी से मतलब निकालना हो, तो पहन लिया प्यार का मुखौटा,
किसी को दिल में छुपा गम ना दिख जाए, तो पहन लिया खुश दिल का मुखौटा।
कुछ तो सोचो उस मुखौटे के पीछे छिपे खुद के बारे में एक वो ही तो हैं जो कामगार हैं तुझको तुझसे रू ब रू कराने में,
कभी घर में आइने के पास बैठकर सोचो तो उस मुखौटे को उतारने के बारे में।
क्या तुम्हें खुशी नहीं होगी खुद को खुद से मिलने में? खुद को दुनिया से मिलाने में? खुद को अपने प्यार से मिलाने में?
कभी घर में आइने के पास बैठकर सोचो तो उस मुखौटे को उतारने के बारे में।
क्या तुम्हें खुशी नहीं होगी खुद को खुद से मिलने में? खुद को दुनिया से मिलाने में? खुद को अपने प्यार से मिलाने में?
बहुत ही कम लोग बचे हैं जो इस मुखौटे को पहनना पसंद करते ही नहीं ,
बहुत ही कम लोग बचे हैं जिन्हें नहीं पता कि ये मुखौटा हैं क्या? जानते ही नहीं।
बहुत ही कम लोग बचे हैं जिन्हें नहीं पता कि ये मुखौटा हैं क्या? जानते ही नहीं।
इसी बात का बस गम है.... कि बहुत कम लोग ही बचे हैं ☺️
_✍️शुभम शाह
_✍️शुभम शाह

Padh kar bataye zarur ki aapko kaisi lagi meri ye creation?
ReplyDeleteBhaut bdhiya Subham 😊😊
ReplyDeleteThnku Ayushi
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