Friday 25 May 2018

बाकी हैं


ज़िन्दगी... बस इतना सा दर्द क्यूं?
दर्द से रिश्ता बस इतना सा क्यूं ?
सितम का सिलसिला इतना कम क्यूं ?
अभी तेरा मुझको और गिराना बाकी हैं।

अभी ठोकरों की गिनती में इज़ाफ़ा बाकी हैं,
अभी रुसवाई का आलम शुरू होना बाकी हैं,
अभी गिरकर संभालना और संभल के गिरना बाकी हैं,
ज़िन्दगी अभी तेरा मुझको सताना और बाकी हैं।

तेरा मुझको अभी इस्तेमाल करना और बाकी हैं,
मुझको इस्तेमाल कर मुझको रुलाना अभी बाकी हैं,
रुला कर अन्दर से तोड़ना तेरा अभी बाकी हैं,
ज़िन्दगी मेरी रूह को मार डालना तेरा अभी  बाकी हैं।

तोड़  मेरा हौसला, उस हौसले को दोबारा जगाना अभी ...मेरा बाकी हैं,
गिरा के फिर देखले, गिर दोबारा उठना और उठ कर दोबारा तेरे इम्तिहान में उतरना अभी... मेरा बाकी हैं,
किस्मत जो तू बनाना ही भूल गया, उसी किस्मत को खुद बनाना अभी...मेरा बाकी हैं,
रूठले जितना तुझे रूठना है, तुझे मना के रहूंगा,
मनाया तो हैं पर शायद तुझको थोड़ा और मनाना... अभी मेरा बाकी हैं।
                   
                           __✍️शुुुभम शाह
 

4 comments:

  1. अति सुंदर शाह जी.. आप तो छाह गए..

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  2. सुन्दर आपका कॉम्प्लीमेंट है, और अभी तो मेरा छाना बाकी हैं

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  3. सुंदर कॉम्प्लीमेंट आपके लेखन के लिए है..हमें इंतजार है उस समय का जो अभी बाकी हैं.. 😊

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