Saturday, 12 May 2018

मांँ शुक्रिया!

मांँ



माँ,बा,मासा,अम्मा,मम्मी
या कह लो उर्दू में उसे अम्मी
कहने का बस लेहेज़ा बदलेगा,
दिल में बसे इस एक शब्द के लिए जज़बात नहीं,

जिसने मुझे इस जहां में है लाया,
आज उसके कुछ अक्स कलम से इस पन्ने पर उतारू
ना जाने ये खयाल आज कैसे हैं मन में आया,

सोचता हूंँ वो भी क्या मस्त लम्हा हुआ होगा
जब माँ की आंँखे नम हुई होगी,
शायद ये पहली और आखिरी मर्तबा हुआ होगा
जन्म देने के ठीक बाद मुझको रोता देख खुद दिल से खूब खुश हुई होगी,

सच ही तो कहते है सब,  की मांँ त्याग की मूरत होती है
अपने बच्चे के लिए खुद के लिए कभी बुने अरमान खोती है,
और फिर अपने बच्चो के सपनों में ही खुद के सपने वो संजोती है
उस नन्ही सी जान को कोई दिक्कत ना हो इसलिए बहुत बार
उसे सूखे पर सुला के बिना उफ्फ किए और खुद वो गीले पर सोती है,

जब जब बचपन में रात को नींद ना आए या लगता था भूतो डर
तब तब मांँ ने हैं मुझको सुलाया अपनी गोद में रख कर मेरा सर,
आज भी जब दुनिया की भागा दौड़ी में, ज़िन्दगी के वो तमाम तनाव जब बहुत ज़्यादा सताने लगती हैं,
तब भी तो उन सभी दुख दर्द को छू मंतर करने के लिए वो मांँ की गोद आज भी प्यारी लगती हैं,

और सच कहता हूंँ सुकून बड़ा मिलता हैं...

ये सब जानता हूंँ फिर भी ना जाने क्यों ये गलती मुझसे हो जाती हैं
गर कभी मांँ गलती से कोई गलती कर देती हैं ना जाने क्यूं ये मेरी भद्दी सी आवाज़ ऊंची हो जाती हैं,
तब ना जाने कुछ पलो के बाद कयू इस दिल को दुनिया की गई सबसे बड़ी गलती दिखने लगा जाती हैं
हा ये अलग बात है कि मुझे गलती का एहसास होने के बाद sorry  बोल देता हूंँ और मांँ मान भी जाती हैं,

लेकिन एक सवाल उठ जाता हैं उस वक़्त मेरे मन में
क्या जिस मां ने इतना कुछ मेरे लिए किया,
क्या मैने उसे कभी इस दी हुई ज़िन्दगी का, क्यों आज तक शुक्रिया अदा नहीं किया?

हा मानता हूं जब मेरा या मेरे भाई का मन  कोई नए किस्म का पकवान खाने का मन किया,
तब तब तूने Youtube से वीडीयो देख उसे सीख कुछ अपने अंदाज़ से हमारे लिए बनाया , और बकायदा उस मेहनत के लिए हमने Thank you भी कहा।
पर क्यों आज तक हमारे सारे ख्वाहिशों को पापा से छुपा कर पूरा करने पर क्यूं उस मांँ का हमने शुक्रिया अदा नहीं किया?

रोज़ शाम की वो पॉकेट मनी, रोज़ शाम के वो मौसमी का जूस,
कभी जो बनाई वो गर्मी में तूने कुल्फ़ि की कटोरी,
जब गर्मियों की छुट्टियों का काम ना हो पाता, तो कर उसे पूरा तू  तेरा मुझको कर देना खुश,
और जब नींद ना आती थी तो मांँ आज भी याद हैं तेरी वो सुनाई लोरी,

मांँ इन सबके लिए कैसे शुक्रिया तेरा अदा करू
सामझ नहीं ये मुझको आ रहा
शायद इसलिए आज तुझको इस पन्ने पर अपनी कलम
से उतारने की कोशिश में हूँ लग रहा..
यही हैं मेरी तरफ़ से मांँ तुझको  शुक्रिया...

पर खत्म नहीं ये हुई कविता

[आगे जो लिखने हूंँ जा रहा वो मेरे दोस्त आप सबके लिए है
गर मेरे दोस्त तुमसे तुम्हारी मांँ (या पापा भी) आज की दुनिया के साथ कदम से कदम मिला कर चलना चाहते है,

गर वो तुमसे आज कल के स्मार्ट फोंस तुमसे के बारे में तुमसे  सीखना चाहते हैं,
तो जरूर सिखाना..
क्यूंकी, मेरे दोस्तो याद रखना ये वही मांँ हैं जिसने तुम्हें चम्मच कैसे पकड़ते है ये था सिखाया और था ये बताया  कि कैसे जीनी हैं ज़िन्दगी,
तुम सिखा कर देखना... जब तुमसे वो काम सीख कर खुद वो करते है तब उनके चेहरे पर जो एक प्यारी सी मुस्कुराहट आयेगी ना,
उस पल बस तुम यहीं कहोगे दिल में की तुझसे बस और क्या चाहिए ज़िंदगी! ]

मैं जानता हूंँ और जानते तुम भी हो कि मांँ का तुम शुक्रिया तुम पूरी ज़िन्दगी भी बिता लोना तो भी अदा नहीं कर सकते ,
और ये कविता भी बस शुक्रिया अदा करने की बस एक कोशिश थी
सिर्फ़ एक नाकाम कोशिश..
                              __✍️शुभम शाह

2 comments:

  1. क्या आपने अपनी मां को शुक्रिया कहा?

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  2. Hanji Kia or bhot ache Shah ji

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